माँ मेरी नियति क्या है
आऊ फिर कुछ दिन खेलू फिर चला जाऊ
याद मत करना करना अब और न सताऊंगा
बदहाल व्यवस्था अब न झेल पाउँगा
मेरे आने से तुम मुस्कराई
पाँच साल तक मुझे राजा बाबू कहकर कहकर बुलाई
राजू , मोनू, हल्की के मै खूब खेला
डॉक्टर , कलेक्टर बने मुझे शायद आपने भी देखा
पर सूर्य अब अस्त हो गया
भ्रष्ट नेता , बदहाल व्यवस्था के आगे पस्त हो चुका
क्या इन की चुप्पी और दो मिनिट का मोन मेरी नियति है
माँ आखिर बताओ मेरी नियति क्या है
- तपेश उपाध्याय
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